पहली सैलरी से करे फाइनेंसियल प्लानिंग की शुरुआत अपनाये ये 5 तरक़ीब |


फाइनेंशियल प्लानिंग की तैयारी तो पहले जान लें सेविंग् और इंवेस्टमेंट के बीच का अंतर


पहली सैलरी मिलते ही प्लानिंग पर अमल

फाइनेंशियल प्लान्स की योजना बहुत अहम होती है। ताकि भविष्य में आप आर्थिक रूप से सुरक्षित हो सकें। जल्दी बचत करने से आपके पास अपना कॉर्पस इकठ्ठा करने के लिए समय भी ज्यादा होता है। उदाहरण के तौर पर अगर 25 वर्षीय व्यक्ति 5000 रुपए प्रति महीना 10 फीसदी की दर से बचत करता है, तो 50 से 60 साल के बीच उसका कॉर्पस  1 करोड़ रुपए का हो सकता है। वहीं दूसरी ओर अगर 30 वर्ष की उम्र में 5000 रुपए प्रति महीना बचत करने पर 60 साल की उम्र तक कॉर्पस 60 लाख की ही होगा। यानि 5 साल की देरी पर 40 लाख का नुकसान हुआ। इसलिए उचित है कि बचत और निवेश अपने जीवन में जल्दी से जल्दी शुरू कर देनी चाहिए।



बजट बनाकर उस पर अमल करें
फाइनेंशियल प्लान के लिए सबसे पहला स्टेप होता है बजट बनाना। आपका बजट आपकी चालू और अनुमानित आय खर्चों पर आधारित होना चाहिए। अपने कैश फ्लो मॉनिटर करते रहना बहुत जरूरी है। इससे आपको पता चलता है कि आपका पैसा कहां ज्यादा खर्च हो रहा है। अपनी आय को ध्यान में रखते हुए आपको यह पता होना चाहिए कि आपके आय स्त्रोत कब तक का है। अपने बजट में महंगाई का भी ध्यान रखें। यदि आपकी आय आपके खर्चों से ज्यादा बढ़ जाती हैं तो आपका फाइनेंशियल प्लान आपके लिए काम कर रहा है और अगर इसका उलटा होता है तो आपको प्लान दोबारा बनाने की जरूरत है।


लक्ष् तय करें और उन्हें हासिल करने का प्रयास करें

अपका अगला कदम अपना लक्ष्य तय करना होना चाहिए जैसे कि घर खरीदना, शादी आदि। इसके बाद इन्हें छोटे, मध्य और लंबी अवधि के लक्ष्यों में बांट लें। अपने निवेश का विश्लेषण करें और देखें कि आप कितना जोखिम उठाने में सक्षम है।  आपका फाइनेंशियल इन दो चीजों पर ही निर्भर करता है। यह फाइनेंशियल प्लान आपको बता पाएगा कि आपको किस समय कितनी राशि की जरूरत होगी और इसके आधार पर अपना निवेश प्लान यानि कि छोटी, मध्य और लंबी अवधि के लक्ष्यों को तय करें।


बचत के साथ निवेश पर भी हो फोकस

सबसे उचित होता है अगर आप मासिक रुप से सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान या सिस्टेमेंटिक ट्रांस्फर प्लान के जरिए निवेश करना शुरु कर दें। ऐसा करने से आपको अपने सामान्य निवेश पर दो गुना लाभ मिल सकता है। वास्तव में आपोक यह प्रक्रिया ऑटोमेट कर देनी चाहिए। यह आप म्युचुअल फंड/ रिकरिंग डिपॉजिट आदि के लिए सीधा बैंक ट्रांस्फर के विकल्प का चयन कर सकते हैं। ऐसा करने से आप अपने बचत करने के लक्ष्य कभी भी चूक नहीं पाएंगे।

टैक् प्लानिंग पर भी दें ध्यान

पूंजी बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी है टैक्स प्लानिंग है। टैक्स बचाने के लिए आपको किसी टैक्स एक्सपर्ट की राय लेनी चाहिए ताकि आप अच्छे से निवेश और बचत कर सकें। सेक्शन 80 सी के तहत एक लाख रुपए तक की लिमिट पर सरकार की ओर से दी गई कई स्कीम्स पर भी टैक्स बचाया जा सकता है जैसे कि बच्चों की ट्यूशन फी, आश्रित माता पिता के दवा के खर्चे, हाउस लोन पर ब्याज और घर को रेनोवेशन पर ब्याज आदि कर कटौती के योग्य होते है।

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